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आचार्य अभिनवगुप्त सहस्त्राब्दी समारोह द्वारा आयोजित अभिनव संदेश यात्रा 28 मई को हरिद्वार पहुंची। जहां गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर एक व्याख्यान भी आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता डॉ. राजनारायण शुक्ल थे। उन्होने आचार्य अभिनवगुप्त के जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रत्यभिज्ञा दर्शन और शैव दर्शन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह अभिनवगुप्त के शिवलीन होने के एक हजार वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित यह यात्रा कश्मीर को शेष भारत से और शेष भारत को कश्मीर से जोड़ने का एक माध्यम है।
जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र की ओर से यात्रा का नेतृत्व कर रहे मनीष चौधरी ने कहा कि कुछ देशविरोधी तत्वों द्वारा कश्मीर को देश से अलग करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर अलगाववाद, आतंकवाद की भूमि नहीं है, यह तो परंपरा की भूमि रही है, जहां आचार्य अभिनवगुप्त जैसे महान संत और दार्शनिक हुए हैं।
इस अवसर पर संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि समारोह समिति के नेतृत्व में निकाली गई यह अभिनव संदेश यात्रा न केवल पूरे देश के लिए बल्कि खासकर कश्मीर के लिए अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का शीशमुकुट और भारत का गौरव है। इसको इसके वास्तविक रूप में रखने के लिए यह अभिनव संदेश यात्रा एक सराहनीय प्रयास है।
इस अवसर पर गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. वेद प्रकाश जी भी उपस्थित रहे। उन्होंने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा कि राष्ट्र की अर्चना करना उसमें रहने वालों का कर्तव्य है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य भूपेंद्र जी ने की और कार्यक्रम का संचालन देवेश वशिष्ठ ने किया।
मेरठ में हुई संगोष्ठी-
हरिद्वार से पहले 27 मई को यात्रा का पड़ाव मेरठ में रहा। यहां पहुंचने पर यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। यहां श्री विल्वेश्वर मंदिर में कलश पूजन का आयोजन किया गया। इसके बाद श्री विल्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता डॉ. राजनारायण शुक्ल थे। कार्यक्रम में उन्होंने अभिनवगुप्त के शैव दर्शन के साथ ही प्रत्यभिज्ञा दर्शन के बारे में विस्तार से बताया।